ये किस्मत कमाल की चीज होती है ,
कभी बनाती तो कभी बिगारती है |
यहाँ , वहां , जाने कहाँ कहाँ ,
कम्बखत ये किस्मत भी कितने रंग बदलती है |
लाख कोशिस कर ले इसे केद करने की ,
फिर भी ये आजाद मिलती है |
जब चाहे जिसे चाहे जहाँ चाहे ,
राजा से रंक और रंक से राजा बनाती है |
ये किस्मत भी कितने खेल खेलती है ,
कभी खुशिया तो कभी गम देती है |
मिल जाए जिसे इसका साथ ,
उसकी दिवाली ही दिवाली होती है |
रह जाए जो इससे महरूम ,
उसे खाई ही खाई मिलती है |
Hey
ReplyDeletevery good manish, all poems are very good
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