ज़िन्दगी की हर राह मुस्किल होती है ,
अक्सर अकेला ही चलना पड़ता है |
मुसाफिर बहुत मिल जायेंगे रहो में ,
पर साया ही ख़ुद के साथ चलता है |
मुमकिन नही हर किसी को मंजिल मिले ,
वही मंजिल पर पहुँचता है ,
जिसपर किस्मत का साथ होता है |
कब कौन कहाँ किसका साथ छोर दे ,
इसका अंदाजा हमें कहाँ होता है |
कुछ पल की खुसी जज्बात बहा ले जाते है ,
वरना वही गम साथ होता है |
दुसरो पर उमीद क्यों रखना ,
ख़ुद पर यकीं रखना होता है |
क्योकि इस गुमनाम शहर में ,
ख़ुद की परछाई ही हमसफ़र होता है |
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