Wednesday, September 8, 2010

तेरी जिद मेरी चाहत

आज उनकी नजरो में,
हम उनके लायक नहीं रहे,
सायद कभी किसी की ज़िन्दगी थे,
आज उसी के लिये मर गये |

हमारी चाहतो को मार कर,
उन्होंने अपनी ज़िद पूरी की,
जिद्दी तो हम भी थे पर,
उनकी जिद के आगे हार गये|

दफ़न कर दी हमने अपनी चाहतो को,
अपने सिने के कब्र में,
अब खुद की चाहत खुद तक रखता हूँ,
देखते है कब हारेगी ,

तुम्हारी ज़िद मेरी चाहत के आगे|

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