आज उनकी नजरो में,
हम उनके लायक नहीं रहे,
सायद कभी किसी की ज़िन्दगी थे,
आज उसी के लिये मर गये |
हमारी चाहतो को मार कर,
उन्होंने अपनी ज़िद पूरी की,
जिद्दी तो हम भी थे पर,
उनकी जिद के आगे हार गये|
दफ़न कर दी हमने अपनी चाहतो को,
अपने सिने के कब्र में,
अब खुद की चाहत खुद तक रखता हूँ,
देखते है कब हारेगी ,
तुम्हारी ज़िद मेरी चाहत के आगे|
हम उनके लायक नहीं रहे,
सायद कभी किसी की ज़िन्दगी थे,
आज उसी के लिये मर गये |
हमारी चाहतो को मार कर,
उन्होंने अपनी ज़िद पूरी की,
जिद्दी तो हम भी थे पर,
उनकी जिद के आगे हार गये|
दफ़न कर दी हमने अपनी चाहतो को,
अपने सिने के कब्र में,
अब खुद की चाहत खुद तक रखता हूँ,
देखते है कब हारेगी ,
तुम्हारी ज़िद मेरी चाहत के आगे|
No comments:
Post a Comment